Tuesday, December 21, 2010

चमत्कारी सिक्के : लालच का फल

दो मित्र गणेश और भूषण एक साझा व्यवसाय करने लगे दोनों ही बेहद जुझारू प्रवृति के मेहनती व्यक्ति थे व्यवसाय का स्वरूप ऐसा था कि एक अपना दिमाग लगा रहा था और दूसरा फील्ड में मेहनत करने लगा, दोनों ही लगन-मगन से जीतोड़ मेहनत करने लगे, मेहनत रंग लाई और दोनों को व्यवसाय में एक वर्ष में ही एक करोड़ रुपयों का मुनाफ़ा हो गया। अब समय था रुपयों के बंटवारे का, तब भूषण यह कहते हुए अड़ने लगा कि फील्ड में सारी मेहनत मैंने की है सारे ग्राहकों को मैंने ही इकट्ठा किया है तब जाकर हमें सफलता मिली है इसलिए लाभ में मेरी हिस्सेदारी ज्यादा बनती है।

तब गणेश ने कहा - यह कारोवार हम दोनों ने संयुक्त रूप से किया है तथा दोनों ने एक साथ मिलकर ही मेहनत की है अब यहाँ सवाल यह नहीं है कि किसने किस फील्ड में कितनी मेहनत की ... यह बात सही है कि ग्राहकों से बातचीत में तुम्हारी भूमिका ज्यादा रही है तो दूसरी तरफ कार्य योजनाएं बनाने व क्रियान्वयन में मैंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है साथ ही साथ हर क्षण हम दोनों ही एक साथ रह कर कार्य करते रहे हैं ऐसी स्थिति में हम दोनों ही मुनाफे में बराबर के हिस्सेदार हैं।

लेकिन भूषण मानने को तैयार नहीं था उसके मन में लालच समा गया था इसलिए समस्या ने विवाद का रूप ले लिया, दोनों ही मरने मारने को उतारू हो गए, दोनों ने ही अपने अपने हांथों में कमर में लटकी तलवारों को निकाल लिया तथा बहस जारी थी ठीक उसी क्षण वहां एक सज्जन पुरुष पहुँच गए उन्होंने दोनों मित्रों की समस्या सुन कर मदद करने को कहा तो वे दोनों मान गए तथा इमानदारी पूर्वक निर्णय करने पर दोनों ने दस-दस हजार रुपये देने का आश्वासन भी दे दिया।

भूषण मुनाफे में से ६० प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखना चाहता था और गणेश को ४० प्रतिशत देना चाहता था गंभीरतापूर्वक विचार करने के पश्चात सज्जन व्यक्ति ने कहा - आप दोनों के संयुक्त प्रयास, लगन, दिमाग व मेहनत से सफलता मिली है यदि गणेश कार्य योजना व क्रियान्वयन की नीति तैयार नहीं करता तो भूषण फील्ड में मेहनत कैसे करता और यदि भूषण फील्ड में मेहनत नहीं करता को योजनाएं धरी की धरी रह जातीं ... और फिर यह कारोवार आप दोनों का संयुक्त था और संयुक्त रूप से ही दोनों ने मेहनत की है इसलिए दोनों ही मुनाफे में बराबर के हिस्सेदार हो।

वैसे भी आज इस सवाल पर बहस करना कि किसने मेहनत कम की और किसने ज्यादा की, यह बेईमानी है, यदि आप दोनों सहमत नहीं हो तो एक और विकल्प है ... मेरे पास चमत्कारी सिक्का है जब कभी ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है तो मैं उस सिक्के की मदद से ही सुलझाने का प्रयास करता हूँ आप चाहो तो सिक्का उछाल कर फैसला कर देता हूँ ... यदि हेड आया तो दोनों बराबर हिस्सा बाँट लेना और यदि टेल आया तो भूषण को ६० प्रतिशत तथा गणेश को ४० प्रतिशत हिस्सा मिलेगा ... इस बंटवारे से गणेश को हानि का सामना करना पड़ सकता था फिर भी वह तैयार हो गया।

इस प्रकार दोनों की आम सहमती पर सज्जन व्यक्ति ने अपने हाथ में रखे तीन सिक्कों में से एक सिक्का उछाला ... हेड आ गया, हेड देखकर भूषण तनिक मायूस सा हो गया ... अब समय था दस-दस हजार रुपये देने का, गणेश ने तो खुशी खुशी दस हजार अपने हस्से से निकाल कर उस सज्जन व्यक्ति को दे दिए किन्तु भूषण ने साफ़ तौर पर रुपये देने से इनकार कर दिया और कहने लगा कि तुमने कोई मेहनत का काम नहीं किया है इसलिए नहीं दूंगा ... तथा गणेश के साथ भी बहस जैसा करने लगा, वह इस फैसले से संतुष्ट नहीं था ...

... भूषण के मन की लालच की भावना देख सज्जन पुरुष को गुस्सा आ गया, किन्तु शांत मन से पुन: आग्रह किया कि आप अपने वचन पर कायम रहिये तथा मेरा हिस्सा मुझे दे दीजिये ... किन्तु भूषण नहीं माना ... उसके लालच को देखकर रहा नहीं गया और सज्जन पुरुष ने अपने हाथ में रखे तीन सिक्कों में से एक दूसरा सिक्का निकाल कर भूषण के सामने फेंक दिया, भूषण ने सिक्का उठाकर देखा उसके दोनों तरफ "हेड" था वह गुस्से से तिलमिला गया और तलवार से गणेश पर वार करने लगा ...

... पांच मिनट बाद सज्जन पुरुष ने देखा कि गणेश लहू-लुहान घायल अवस्था में अपने सिर को पकड़ कर बैठा हुआ था तथा सामने भूषण मृत पडा था ... सज्जन पुरुष ने आगे बढ़कर गणेश से कहा - लालची को उसके लालच का फल मिल गया और वह काल के गाल में समा गया, सिक्का उठाकर, अपने हाथ में रखे तीनों सिक्कों का रहस्य बताया कि यह वह सिक्का है जिसे उछाल कर मैंने भूषण के सामने फेंका था जिसके दोनों ओर "हेड" है ... और दूसरा यह सिक्का है जिसके दोनों ओर "टेल" बना हुआ है ... तथा यह रहा वो तीसरा सिक्का जिससे मैंने सर्वप्रथम फैसला किया था जिसमे "हेड-टेल" दोनों हैं ... खैर छोडो भूषण को ईश्वर का फैसला मंजूर नहीं था तथा उसे लालच का फल मिला गया !

1 comment:

मंजुला said...

जी लालच इंसान को कहीं का नही छोड़ता ..........