कल-आज-कल, जीवन है
जीवन है, तो जी लें हम
चलो आज में, जी लें हम
कल का, कल हम देखेंगे
बीत गया, जो बीत गया
आज बैठकर क्यूं सोचें
रोज नया कल, आज बनेगा
फिर आज भला क्यूं हम सोचें
होंगे कुछ, कल के सपने भी
आज भला हम क्यूं देखें
ये सच है कल भी आयेगा
आज नया बन के आयेगा
आज बैठ हम, कल के सपने
देख देख कर क्यूं बैठें
जीवन का दस्तूर यही है
जो कुछ है, वो आज यहीं है
आज जो चाहें, आज मिले
यही सोच कर, जी लें हम
चलो आज में, जी लें हम
कल का, कल हम देखेंगे !
5 comments:
bahut achhi lines......
good.....
जीवन का दस्तूर यही है जो कुछ है वो आज है और यहीं है में सारा दर्शन समाहित कर दिया है न आने वाला कल न बीत गया वो कल ।बीता हुआ कल आम तौर पर भयानक ही होता है और आने वाला तो अनिश्चित है ही इसलिये व्यक्ति आज में जीना शुरु करदे तो बहुत सारी परेशानियों से उलझनों से बीते हुये दुख से और आने वाले काल्पनिक भय से बचा रह सकता है ।
कल-आज-कल... हमारे जीवन का सत्य ही तो है...
बेहद सुन्दर रचना...
kya baat hai
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