एक लड़का और एक लड़की आस-पडौस में रहते थे कभी-कभी उनकी मुलाक़ात होते थी ... एक दिन लड़की एक छोटे से बच्चे को खिला रही थी लड़का उसी समय इत्तेफाक से पहुंच गया तथा बच्चे को हाथों में लेकर पप्पी लेने लगा, तभी अचानक लड़की ने लडके से धीमी आवाज में कहा क्यों मुझे पप्पी नहीं दोगे ... सुनकर लड़का अचंभित रह गया और लड़की को देखने लगा ... लड़की भी देख कर शरमाई ... कुछ पल दोनों खामोश होकर एक-दूसरे को देखते रहे ... फिर लडके ने लड़की के गाल को धीरे से चूमा ... और वहां से चला गया ... दो-तीन दिन के बाद फिर दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने ... कुछ संकोच - कुछ भय ... दोनों हिम्मत कर आगे बढे और गले लग गए ... फिर अक्सर मेल-मुलाक़ात होती रही दोनों का प्रेम बढ़ने लगा ...
... लड़की की पढ़ाई पूरी गई और वह परिवार वालों के आदेशानुसार गांव वापस जाने को मजबूर ... लड़का भी पढ़ाई पूरी कर चुका था और नौकरी के लिए तैयारी कर रहा था ... शाम को दोनों मिले ... लड़की ने अपनी स्थिति बताई ... लडके ने नौकरी की समस्या बयां की ... दोनों एक-दूसरे से शादी करने को उतावले थे पर खाने-कमाने की समस्या सर पर थी ... दोनों नौकरी मिलने तक इंतजार को तैयार हुए ... लड़की गांव चली गई ... लड़का नौकरी के लिए जी-तोड़ मेहनत करने लगा ... लगभग एक साल के अंदर ही लडके को एक प्रशासनिक नौकरी मिल गई ...
... इस एक साल के दौरान संयोग से दोनों एक-दो बार ही मिल पाए थे ... लडके ने नौकरी मिलने की खुशखबरी लड़की को भेजी और यह संदेश भी भेजा की अब हम शादी कर सकते हैं कब आऊं तुम्हें लेने ... लड़की ने जवाब दिया मै तैयार हूं कभी भी आ जाओ ... लड़का खुशी-खुशी लड़की के घर गांव पहुंचा .... पारिवारिक जान पहचान के नाते उसके घर पर ही रुका ... रात में खाना खाने के बाद लडके ने लड़की से कहा कल सुबह तैयार हो जाना चल कर मंदिर में शादी कर लेंगे ... अपने बीच जातिगत व आर्थिक असमानता है तुम्हारे माता-पिता शादी को तैयार नहीं होंगे ... इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है ... लड़की ने हां कहा ...
... लड़की अपने कमरे और लड़का गेस्ट रूम में ... रात कैसे गुज़री ... दोनों तरफ न जाने कैसी खामोशी थी ... कैसे सुबह हुई पता ही नहीं चला ... दूसरे दिन सुबह लड़की के चहरे पर जब लडके की नजर पडी ... लड़की की नजरें अस्थिर व चेहरा खामोश था ... समय गुजरने लगा ... लड़का भी खामोश रहकर लड़की के मनोभाव पढ़ने लगा ... उसने मौक़ा पाकर लड़की के सिर पर हाथ रखते हुए धीरे से कहा ... डरो मत, खुद से मत लड़ो ... जब मन होगा साथ चलने का ... खबर भेज देना मैं बाद में आ जाऊंगा ...
... चाय-नाश्ता करने के बाद लड़का जाने को तैयार हुआ ... घर के बाहर परिवार के सभी सदस्य छोड़ने आये, लड़की भी ... खामोशी के साथ-साथ लड़की की आँखे नम ... लडके ने लड़की के चेहरे पर उमड़ रहे मनोभावों को पढ़ लिया और समझ गया कि माता-पिता की मर्जी के बिना भागकर शादी करना ... एक हिन्दुस्तानी लड़की के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरने से कम नहीं है ... लडके ने सभी को अलविदा कहा और निकल पडा ... गली के मोड़ पर लडके ने मुड़कर देखा ... लड़की अकेली दरवाजे पर खामोश खडी थी लडके ने हाथ उठा कर बाय-बाय कहा ... और दोनों के बीच फासला बढ़ता गया ... !!!
... लड़की की पढ़ाई पूरी गई और वह परिवार वालों के आदेशानुसार गांव वापस जाने को मजबूर ... लड़का भी पढ़ाई पूरी कर चुका था और नौकरी के लिए तैयारी कर रहा था ... शाम को दोनों मिले ... लड़की ने अपनी स्थिति बताई ... लडके ने नौकरी की समस्या बयां की ... दोनों एक-दूसरे से शादी करने को उतावले थे पर खाने-कमाने की समस्या सर पर थी ... दोनों नौकरी मिलने तक इंतजार को तैयार हुए ... लड़की गांव चली गई ... लड़का नौकरी के लिए जी-तोड़ मेहनत करने लगा ... लगभग एक साल के अंदर ही लडके को एक प्रशासनिक नौकरी मिल गई ...
... इस एक साल के दौरान संयोग से दोनों एक-दो बार ही मिल पाए थे ... लडके ने नौकरी मिलने की खुशखबरी लड़की को भेजी और यह संदेश भी भेजा की अब हम शादी कर सकते हैं कब आऊं तुम्हें लेने ... लड़की ने जवाब दिया मै तैयार हूं कभी भी आ जाओ ... लड़का खुशी-खुशी लड़की के घर गांव पहुंचा .... पारिवारिक जान पहचान के नाते उसके घर पर ही रुका ... रात में खाना खाने के बाद लडके ने लड़की से कहा कल सुबह तैयार हो जाना चल कर मंदिर में शादी कर लेंगे ... अपने बीच जातिगत व आर्थिक असमानता है तुम्हारे माता-पिता शादी को तैयार नहीं होंगे ... इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है ... लड़की ने हां कहा ...
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4 comments:
Very nice story... Quite touchy and realistic... Keep writing ..
बढिया लघुकथा । चलते रहिये...
Thankes to given us your valuble support .to your news paper if you intersted to write an a article so we are welcome you on your news paper as a free lanch columnist
If you are intrersted plz callme my name is abhishek tiwari (Biuro head in bhopal) My number is 9039982461
Wating for your responce
your's faithfully
abhishek tiwari
(Biuro head in bhopal
ek achhi pahal ....naye drashtikon lekr likhi hai aapne yeh laghu katha....achhi lagi...likhte rahiye..
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