Friday, April 1, 2011

स्पर्श !

तुमने जब जब
मेरे कोमल अंगों को
अपने कठोर हांथों से
स्पर्श किया
छुआ, टटोलना चाहा
सच ! मैं कुछ पल को
सिहर
सी गई
डरी, सहमी रही
पर कुछ पल में ही
तुम्हारे हांथों का स्पर्श
मुझे, मन को भाने लगा !!

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